
मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल अब हमारे बीच नहीं रहे। 4 दिसंबर 2025 की शाम, देशभर में यह खबर गूंज उठी कि एक ऐसा इंसान जिसने अदालतों से लेकर राज्यपाल भवन तक अपनी समझ, तेज़ दिमाग और ज़मीन से जुड़ा स्वभाव दिखाया—वह अब सिर्फ यादों में रह गया।
दिल्ली BJP ने X (Twitter) पर पोस्ट कर जानकारी साझा की कि शाम 4:30 बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
कह सकते हैं—आज उनका सफ़र वहीं खत्म हुआ, जहां आने वाले वक्त में लोग उन्हें याद करने आएंगे।
कौन थे स्वराज कौशल?
पठन-पाठन के दिनों में ABVP की सक्रिय सदस्य रहीं सुषमा स्वराज और समाजवादी सोच वाले स्वराज कौशल—दोनों ने 1975 में शादी कर ली थी। यह एक तरह से कांग्रेस विरोधी राजनीति और इमर्जेंसी के दौर में जन्मी कहानी थी।
उनकी बेटी बांसुरी स्वराज दिल्ली से BJP सांसद हैं—एक तरह से परिवार में कानून और राजनीति दोनों विरासत की तरह चलती है।
सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने का रिकॉर्ड
1990 में 20 साल पुराने मिजो विद्रोह को खत्म कराने में बड़ी भूमिका निभाने के बाद उन्हें मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया।
और यह दिलचस्प है—उम्र कम थी, ज़िम्मेदारी ज्यादा… और इस कॉम्बिनेशन में लोग आमतौर पर गलती करते हैं, लेकिन कौशल ने नहीं।
वे देश के सबसे युवा राज्यपाल कहलाए। तीन साल तक इस पद पर रहे और उत्तर-पूर्व की राजनीति के बेहतरीन जानकारों में गिने गए।
34 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता
आजकल लोग 34 साल की उम्र में LinkedIn अपडेट करते हैं— लेकिन स्वराज कौशल ने 34 में Supreme Court Senior Advocate का टैग हासिल कर लिया था। यह उपलब्धि आज भी प्रेरणा का मानक है।

Baroda Dynamite Case—जहां कौशल ने न्यायालय में इतिहास लिखा
इमरजेंसी के दिनों की बदनाम फ़ाइल—Baroda Dynamite Case। जॉर्ज फर्नांडीस सहित 25 लोगों पर आरोप लगा कि वे सरकारी प्रतिष्ठान उड़ाना चाहते थे। इसी केस में स्वराज कौशल ने जॉर्ज की पैरवी की। सरकार जेल भेजना चाहती थी, कौशल निकालना चाहते थे—और इतिहास गवाह है कि अदालत ने जॉर्ज को आज़ादी दी।
यहीं से कौशल सुर्खियों में आए। कह सकते हैं—यह केस उनकी पहचान का पासपोर्ट साबित हुआ।
सुषमा–कौशल: विचार अलग, दिल एक
सुषमा RSS पृष्ठभूमि से, कौशल समाजवादी—मतलब शादी से पहले ही ‘दो विचारधाराओं का गठबंधन’ था। पर दोस्ती इतनी मजबूत कि परिवार भी आखिरकार मान गया। दोनों ने कई दफा सामाजिक परंपराओं को चुनौती दी। जिस तरह सुषमा के अंतिम संस्कार में उनकी बेटी बांसुरी ने मुखाग्नि दी— उसी तरह कौशल भी हमेशा ऐसी रूढ़ियों को तोड़ने के समर्थक रहे।
कैसे मिले थे दोनों?
दोनों पंजाब यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई करते थे। कोर्ट में प्रैक्टिस, जॉर्ज फर्नांडीस का केस, और लंबी बहसों के बीच— दोनों न सिर्फ करीब आए, बल्कि जीवनभर साथ चलने का फैसला किया।
यह प्रेम कहानी कम और ‘संघर्षों में जन्मी साझेदारी’ ज़्यादा लगती है।
“रफा के बाद खान यूनिस—गाजा में आग, दुनिया में सन्नाटा!”
